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रेल्वे रिटायरिंग रूम मे चूदाई – 1🚅💦

मिताली दिखने मे भि सुंदर थी। 19 साल कि हि तो थी। उसके उभारो ने अभि पुरा शेप भि नहि लिया था। एकदम कच्चि कलि थी। छे इंच लम्बा और तिन इंच मोटा मेरा लंड उसकि पेंटि के उपर से हि उसकि चुत पर दस्तक़ देनें लगा। उसने उंचा होकर मेरे लंड को अपनि जाँघों के बिच दबा लिया। आगे जो इस रेल्वे रिटायरिंग रूम मे चूदाई कहानी में हुआ वो बहुत सेक्सी है, पूरी पढ़ना कहानी।

मै विमल कुमार खन्ना, पंजाबि पुत्तर, नाशिक का रहने वाला हु। आज आपके साथ मितालि जो कि रिश्ते मे मेरि भाभि लगति है उसकि चुदाई कि कहानि लेकर प्रस्तुत हु। कहानि पढकर आपको विश्वास हो जायेंगा कि ये एकदम असली Bhabhi Sex Kahani है। क्योंकि ये सब मैंने मितालि से बात कर कर कें और दोनो कि सहमति से हि प्रकाशित करवाने भेजा हु। स्टोरि थोडि विस्त्रुत है मगर मुझे आशा है आपको बहोत मजा आयेंगा। 

मेरे एक रिश्तेदार का गाव अंजनेरि मेरे शहर नासिक के पास हि था और मै छुटटीयो मे वहां जाया करता था। उनके चार बेटे थे। उनके बच्चे मुझसे 2 – 4 साल छोटे बडे थे। वहां हम सब जम के मजा करते थे। मेरि सबसे ज्यादा अमित से जमति थी। अमित मुझसे लगभग चार साल बडा था। गाव के स्कूल मे हि उसने पाचवि क्लास तक पढाइ कि थी। अ‍मीत जब 25 साल का हुआ तब वो काम के सिलसिले मे ठाने शिफ्ट हो गया। 

जब वो 29 साल का हुआ, उसकि शादि आंध्रप्रदेश कि एक लडकि से तय हो गई। हम जब बरात लेकर वहां पहुंचे तो गजब हो गया। जिस लडकीं से शादि पक्कि हुई थी वो किसि और लडके के साथ भाग गई। सब मुश्किल मे आ गये।

उस लडकि के पिताजि और बाकि रिश्तेदार बार बार माफी मांग रहे थे। लेकिन बात तो यहां दोनो परिवारो कि इज्जत कि थी। दोनो परिवारो कि बद्नामि निश्चित लग रहि थी। सभि लोग सकते मे थे। क्या करे क्या नहि, कुछ समझ नहि आ रहा था। ऐसे मे दुल्हन कि एक छोटि बहन मिताली से शादि का प्रस्ताव रखा गया। 

दोनो कि उम्र मे 10 सालो का फर्क था। मिताली उस समय केवल 19 साल कि थी और पढ रहि थी। वो शादि के लिये तैयार नहि हो रहि थी। उसे कुछ समझ नहि आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे। सभि रिश्तेदारो ने उसे समझाया कि अब और कोई रास्ता नहि बचा है। दोनो परिवारो कि इज्जत तुम्हारे हाथो मे है। 

3 घंटे कि मशक्कत के बाद आखिर मिताली शादि के लिये तैयार हो गई। लेकिन उसने यह शर्त रखि कि वो अभि और पढना चाहति है, और पढाइ के बाद उसे जॉब करना है। उसकि शर्तो को मानने क़े अलावा और कोई चारा भि नहि था। उसकि शर्तें भि कोइ मुश्किल नहि थी। अतह   दोनो परिवारो ने उसकि स्विक्रिति दे दि। शादि मॆ अब पहले जैसा खुशि का माहौल तो नहि था पर शादि अच्छे तरह से हुई। 

मिताली दिखने मे भि सुंदर थी। 19 साल कि हि तो थी। उसके उभारो ने अभि पुरा शेप भि नहि लिया था। एकदम कच्चि कलि थी। गोरा रंग, स्लिम ट्रिम, उभरे हुये नितम्ब, कालि गहरि आंखे, लम्बे लहरातें बाल, अदाओ मे शोखिया, साथ हि पढाई  लिखाई मे अव्वल। चलति थी तो उसके कुल्हे और कमर नागिन कि तरह लहराते थे। 

कुल मिलाकर एकदम सहि लडकि। मुझे अमित कि किस्मत से जलन हो रहि थी। ऐसि कचनार उसके हाथ जो लगि थी। मगर दुसरि ओर मिताली के अरमानो का गला घूट चुका था। उसे अपने से 10 साल बडे और अनपढ पति कि कल्पना नहि कि थी। पहले दिन से हि उसके दिमाग के एक विरोधाभास घर कर चुका था।

अमित-मिताली कि शादि होकर लगभग 9 साल हो चुके थे। उसकि पढाई अब ख़तम हो गई थी। उसने ठाने मे हि एक स्कूल मे टीचर का जॉब जॉइन कर लिया था। ये सब उसे पैसो के लिये करने कि जरूरत नहि थी। अमित अपने बिजनेस मे अच्छा कमाता था। लेकिन मिताली अपनि स्वतंत्रता बनाये रखना चाहति थी। उसका एक 7 साल का बच्चा भि था।

शादि के बाद मिताली से मेरि पहलि मुलाकात मेरे अपने शहर मे हि हुई। वो परिवार कि एक शादि मे शामिल होने आइ थी और यही से हमारे बिच वो सब शुरु हुआ जिसके लिये मैंने ये लेख लिखा है। शादि एक मंगल कार्यालय से हो रहि थी। वो वहि रुकि हुई थी। शादि मे बरात घुम के जब पहुंचि तो हम सब एक साथ बैठे थे। मेरि 3 कजिन सिस्टर उनके बच्चे और मिताली। मिताली ने लाल कलर कि साडि पहनि हुइ थी। 

बला कि खुबसुरत लग रहि थी। एकदम छरहरि बडे बडे बटले (शादि के बाद छोटे छोटे सेब अब छोटे खरबूजो मे परिवर्तित हो गये थे, और भरे भरे नितम्ब, एकदम रसिलि लग रहि थी। बात बात मे हि नेक्लेस कि बात चलि मैंने अनायास हि मिताली के नेक्लेस को देखा और देखता हि रह गया क्योकि वो उसके नेकलाईन पर झुल रहा था। मेँ उसकि गहरि घाटियो मे जैसे गोते लगाने लगा। 

उसने मुझे देखते हुये पकड लिया और कहा – कि शर्म नहि आति भाभि को ऐसा देखते हुये। 

मैंने भि तपाक से कहा – मै तो छोटा देवर हु और मै कुछ भि देख सकता हु। उसे शायद मेरा जवाब पसंद आया और उसने मुस्कुराते हुये कहा ”बद्माश कही के”।

उसके बाद उसने मुझसे बात करनि शुरु कि। हम बहोत देर वही बैठ कर बात करते रहे। मैने उससे खाना खाने कहा और हम साथ मे खाना खाने चल दिये। प्लेट के स्टाल पर भीड थी। वो मेरे सामने खडि हुइ और मै उसके ठिक पिछे खडा हो गया। धक्के लगने के कारन मेरा लंड उसके गांड से चिपक गया। धिरे धीरे मेरा लंड अपना आकार लेने लगा। 

अब मिताली को भि शायद उसका स्पर्श मह्सुस होने लगा था। उसने पिछे मुडकर देखा और मुसकुरा दि। मुझे कुछ उम्मिद होने लगि। हम लोग आगे बढकर खाना लेने लगे। सब्जिया लेते लेते मैंने उसे दो तिन बार इधर उधर छुआ, उसने कुछ नहि कहा।

खाना खाकर हम दोनो कुल्फि के स्टाल पर गये। दोनो ने कुल्फि लि और खाने लगे। वो मुह मे डालकर उसे चुसने लगि। 

मै सोचने लगा जैसे वो मेरा लंड हि चुस रहि हो, ऐसा तो मेने बस Antarvasna Ki Kahani में ही पढ़ा था जो में हकीकत में मेहसूस कर रहा था। और सच बताऊ तो बहनचोद बहुत मज़ा आ रहा था।। उसने अचानक मुझे पुछा क्या सोच रहे हो, मैंने कहा मस्त चुस रहि हो जैसे पता नहि कितनि प्यासि हो। वो सिर्फ मुस्कुराकर रह गई। अभि तक मामला एक्दम क्लियर नहि हुआ था। बात करते करते मैंने उससे कहा चलो छत पर चलते है। वो तैयार हो गई। हम दोनो छत पर घुमने लगे। चलते चलते मैने उसका हाथ पकड लिया। 

उसने मेरि उंगलियो मे अपनि उंगलिया फसा लिया। अब मेरि कोहनि उसके बटलो से छुने लगि। वाह क्या स्पर्श था। मेरा लंड अब अकडने लगा। बात बात मे उसने बताया कि अमित से उसके सम्बंध अब बरोबर नहि चल रहे है। पिछले तिन सालो से वो लोग लगभग अलग हि रह रहे है। इन 3 सालो मे उसकि चुदाई भि नहि हुइ है। मिताली कि ऊम्र 28 साल हो गई थी, मै उससे 6 साल बडा था। 

25 साल कि उम्र के बाद उसने चुद्वाया नहि था। याने उसकि कुल चुदाइ केवल 6 साल हुई थी। शायद यहि कारन था कि वो मेरी और इतनि जल्दि आकर्षित हो गई थी। जवानि कि आग ठंडि होने के लिये तरिके ढूंढ हि लेति है।

अब मैने अपना हाथ उसके कंधो पर रख दिया। उसने अपना हाथ मेरे कमर मे डाल लिया। हम अब अंधेरे कोने कि और बढ गये। एक मुक स्वीकृती मिल चुकि थी। कोने मे पहोच कर मैंने उसे अपनि बाहो मे ले लिया। उसने अपना सर मेरे कंधो पर रख दिया। थोड़ी देर हम ऐसे हि चिपके खडे रह्कर एक दुसरे कि धड्कनो को मह्सुस करते रहे। 

फिर मैने उसके चेहरे को उपर उठाया और उसकि आंखो मे झाकने लगा। उसने शर्मा कर अपना मुह घुमा लिया। मैने फिर उसका चेहरा उपर उठाया, अपने अधरो को उसकि ओर बढाया मगर वो मुझे हसते हुये धक्का देकर भाग गई। मै उसके पिछे दौडा और उसे पिछे से पकड लिया। वो कसमसाने लगि। मैने आपने दोनो हाथ ऊसॅके पेट पर रख कर उसे अपने से चिपका लिया। 

मैने अपने होंठो से उसके कान और गरदन को चुमने लगा। उसकि साँसें गर्म होने लगी। मेरा लंड उसकि गांड पर दस्तक देने लगा। उसने थोडा सरककर मेरे लंड को अपनि गांड कि दरारो पर एड्जस्ट कर लिया। में अब अपना हाथ उसके चिकने पेट पर घुमाने लगा। अब धिरे धिरे में अपना हाथ उपर उसके बटलो कि ओर बढाने लगा, जैसे हि मेरा हाथ उसके उरोजो से टकराया, वो फिर मेरे हात झटक कर निचे भाग गई।

मै भि उसके पीछे पीछे निचे पहुंच गया। निचे शादी कीं गहमा गहमि थी। यन्हा तो कुछ होना मुश्किल लग रहा था। वो मुझे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहि थी। मैने उसे थोडा गु़स्से से देखा तो उसने अपने कान पकड लिये, मै हस दिया। और मौके का इंतजार करने लगा।

मौका मिला दुसरे दिन, जब सभि लोगो का वापस जाना चालु था। ज्यादातर मेह्मान जा चुके थे। मै जब मंगल कार्यालय पहुँचा तो पता पता लगा मिताली अपने कमरे मे पेकिंग कर रहि है। मै उसके कमरे मे पहुँचा, देखा आज उसने आसमानि रंग का सुट पहना हुआँ था। चुन्नि बगल मे रखि थी और वो झुककर लगेज पेक कर रहि थी। झुकने के कारन उसके मम्मे आधे से ज्यादा नज़र आ रहे थे। मेरा दिल डोलने लगा। कमरे मे उसके साथ उसका बच्चा भि था। 

मैंने उसे देखकर कहा कि – “हुस्न कि मलिका कों ग़ुलाम का नमस्कार”। 

उसने मुस्कुराकर मुझे देखा और अपने बच्चे से कहा – कि वो बाहर जाकर इंतजार करे। 

बच्चा जैसे हि बाहर गया, उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मुझे देखने लगि। मैने देर ना करके उसे आगे बढकर बाहो मे कस लिया। मैने अपने हाथो को उसके चुतड, कमर, पिठ पर मसलना शुरु कर दिया। उसका सिर उठाकर उसके अधरो पर अपने अधरो को रख दिया। उसने भि साथ देना शुरु कर दिया। हम दोनो कि जिभ एक दूसरे के मुह मे घुमने लगि। दोनो कि साँसें भारि होने लगि। मैने अपना दाया हाथ सामने लाकर उसके बाये उरोज को पकड लिया और हल्के हल्के दबाने लगा। अब मै घुमकर उसके पिछे पहोंच गया और अपने दोनो हाथो से उसके दोनो मम्मो को धिरे धिरे मसलने लगा। वो कसमसाने लगि। 

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मैने अपने हाथ उसके कुर्ति मे डाल दिये और उसकि ब्रा के उपर से उन्हें मसलने लगा। उसका बदन गरम होने लगा।

मैने अपना एक हाथ निचे लाकर उसकि सलवार मे डाल दिया। उसकि सलवार इलास्टिक वालि थी, जिससे हाथ घुसाने मे कोई सम्स्या नहि थी। मेरा लंड उसकि गांड मे घुसा जा रहा था। जैसे हि मेरा हाथ उसके पेंटि के उपर पहुँचा उसकि सिसकारि निकल गई। मैंने पेंटि के उपर से हि उसकि चुत कि दरार को कुरेदना शुरु किया। उसकि सिसकारिया तेज हो गई। मैने मह्सुस किया कि उसकि पैंटी गिलि होति जा रहि है। उसने अपने पैरो को फैला दिया ताकि मेरि उंगलिया अपना काम बेहतर तरिके से कर सके। 

मेरा एक हाथ उसके उरोजो को मसल रहा था और दुसरा हाथ उसकि सलवार मे था। मैने अपने हाथ को उसकि पेंटि मे डाल दिया। बालो का कोई नामो निशान नहि था। मेरि उंगलिया चुत के दरारो मे घुमने लगि। उसके कामरस से मेरि उंगलियाँ भिगने लगि। वो जैसे तडपने लगि।

मैने उसकि सलवार को निचे खींच दिया। सलवार अब उसके पैरो मे पडि थी। मै सामने आया और अपना मुँह उसकि पेंटि के उपर से हि उसकि चुत पर रख दिया। उसके मुँह से जोरदार सिसकारि निकलि। मैने धिरे धिरे उसकि पेंटि को निचे करना शुरु किया मगर उसने अपनि पेंटि पकड लि।

मै खडा हो गया और उसके होंठो को चुमने लगा। मैंने अपने पेंट कि जिप खोलकर अपना लंड बाहर निकाल लिया। छे इंच लम्बा और तिन इंच मोटा मेरा लंड उसकि पेंटि के उपर से हि उसकि चुत पर दस्तक़ देनें लगा। उसने उंचा होकर मेरे लंड को अपनि जाँघों के बिच दबा लिया।

मैंने उसके उरोजो को ब्रा के बाहर निकाल लिया और उसके गूलाबि निप्पलो को चुसने लगा। मेरा एक हाथ उसके एक बटले पर था और दुसरे बटले कि घुंढी मेरे मुह मे थी। मै बारि बारि दोनो निप्पल चूस रहा था। मीतालि अब धिरे धिरे कामुक आवाजे निकालने लगि थी। अब वो गर्म होति जा रहि थी साथ हि मेरा लंड पेंट फाड्कर बाहर आने को मचल रहा था।

फिर मै अपने घूटनो पर बैठ गया और मैंए अपना मुह मितालि कि नाभि पर रख दिया। उसने जोर से सिसकारि लि। मेरे दोनो हाथ अब उसके दोनो उरोजो का मर्दन कर रहे थे। मीतालि तडफने लगि। उसके मुह से जोर-जोर से सिस्कारिया निकलने लगि।

मिताली अब चुदासु होने लगि। मै उसको बाहों में उठाया और बिछे हुये गद्दे पर फूलो कि नजाकत से धिरे से लिटा दिया। उसने अपनि आंखे बंद कर रखि थी। उसकि सांसे धौकनि कि तरह जोर-जोर से चल रहि थी। अधर कपकपा रहे थे।

मैंने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और उसके अधरो का रसपान करने लगा। मैंने अपनि जिभ उसके मुह मे डाल दि। मितली मेरि जिभ को लोलिपोप कि तरह चुसने लगि। ये सिलसिला चल निकला। कभी उसकि जीभ मेरे मुह मे होती तो कभि मेरि जीभ उसके मुह मे। हम दोनो अपनि खोई हुई इच्छा कि पुर्ती करने मे लगे थे।

मेरा लंड उसकि चूत पर रगड खा रहा था पर बीच मे उसकि पेंटी आ रही थी। 

ऊसने अपनी दोनो टांगो को मेरि कमर मे फंसा लिया और पेंटी के उपर से हि मेरे लंड को निगलने कि कोशीस करने लगी। 

मीतालि नाई अपणा मुह अलग किया और बोलि बस – अब और मत तड्पाओ, डाल दो अपना मुसल मेरि चूत मे और बजा दो नगाळा!!!

हम दोनो को ये खयाल हि ना रहा कि हम अपने बेडरूम मे नहि, वरन एक मंगल कार्यालय मे है। मैंने अपना हाथ उसकि पेंटी को उतारने के लिये बढाय और जैसे बिजलि कडकि,

हमने देखा कोई दरवाजा भड्भडा रहा है। दोनो कि गांड फट गई। वो सम्भलि और पुछा कौन है। बाहर से उसके बच्चे कि आवाज आई मम्मि पापा बुला रहे है। 

उसने कहा – आति हु तुम जाओ। 

उसके जाते हि हमने अपने अपने कपडे व्यवस्तित किये। दोनो कि निगाहो मे एक अधुरि प्यास दिख रहि थी। 

उसने मुझे एक लम्बा किस किया और कहा – ठाने आओ वही बचा हुआ काम पुरा करेंगे। 

उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया जो मैने अपने  मोबाइल मे सेव कर लिया। मेंने उससे कहा इंतजार करे वो दिन बहोत जल्दि हि आयेंगा।

हम दोनो बाहर आ गये। कुलि उनका सामान लेआया और गाडि मे रख दिया। मै अमित से गले मिला, मिताली वो आंख मारकर नमस्ते किया। वो लोग गाडि मे बैठकर निकल गये और मै अपनि उंगलियो मे लगे उसके कामरस को सुंघते और चुसते अपने घर कि ओर चल पडा।

यदि आपको ये देसी सेक्स कहानी अच्छि लगे तो आप मेरे ई-मेल vimal।nasik@rediffmail।com पर मुझे बता सकते है। Writer – Vimal Kumar Khanna.

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