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भावनाओं की बरसात 🔥🧡

आदरणीय सभी को लेखिका हर्षिता जैन का सादर प्रणाम। आप सबने मेरी पहली कहानी चरमसुख की तलाश को बेहद पसंद किया उसका आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देती हु। इस बार मैं किसी प्रसंग को कहानी का रूप देने की कोशिश कर रही हूँ। इस Romantic sex story में कुछ त्रुटि हो जाए, तो क्षमा करे और अपना अमूल्य सुझाव देने की कृपा करे।

मेरी उम्र 41 और फिगर 34-28-38 है। मेरे पति एक बड़े बैंक के मार्केटिंग विभाग पर कार्यरत है। उनके पास पैसो की कोई कमी नही थी पर उनका ट्रान्सफर बंगलौर होने पर वही शिफ्ट हो गये एवं मेरे दो बच्चे होने के बाद उन्होंने ऑफिस कार्य को अत्यधिक गंभीरता से ले लिए था जिस कारण वे अपना अधिकतर समय बंगलौर में व्यतीत करने लग गये उनका मन अब सेक्स और भावनाओ जैसे चीज़ो मे नही रह गयी थी इस बात का प्रभाव मुझ पर बहुत पर होने लगा था। 

जिसकी वजह मैं भावनाओं में बहकर अपने जेठ जी से हमबिस्तर हो गयी। मेरे जेठजी जिनकी उम्र 47, लॅंड 6 इंच का और लंबाई 5’1, गठीला शरीर है। जेठजी का बहुत बड़ा सोने चांदी का व्यवसाय था एवं जेठानी जी जिनकी उम्र 46 साल थी और उनका नाम रंजना था। 

उनकी एक बेटी जिसकी शादी होने के बाद वह उदयपुर में हम सबके साथ रहने लग गये एवं यही उनका व्यवसाय की एक शाखा प्रारंभ कर दी परन्तु बेटी की शादी के बाद से जेठानी जी अब अधिकतर बीमार रहने लगी जिस वजह से जेठजी काफी और हमारा परिवार चिंतित रहने लग गया।

ये बात जुलाई 2021 के दिनो की है। जब जेठानी जी को हार्ट की प्रॉब्लम से उनकी बायपास सर्जरी करानी पड़ गयी और उनकी सेवा की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर आ गयी उसी समय मेरा नाम जेठजी के साथ जुड़ गया जिसने मेरी और जेठजी की भावनाओ ने अलग मोड़ ले लिया।

उस वक़्त मेरी सासुजी के भाई के बेटे की शादी के कारण मेरे ससुर जी मेरे दोनों बेटियों के साथ 5 दिने के लिये सासुजी के मायका अजमेर चले गये। जेठजी अपनी पत्नी रंजना से बहुत प्यार करते थे उनकी बीमारी की वजह से वह अब काफी उदास भी रहने लग गये कही न कही।

उन्हें खालीपन खाया जा रहा था और वैसे मैं हमेशा से ही शांत सुंदर घरेलू महिला थी जिन्हे देख कर कोई अंदाज़ा ही नही लगता था की इस शांत चित के पिछे ख्वाहिशो का एक पहाड़ दबा है। पर मेरे पति भी बाहर होने के कारण खालीपन अन्दर ही अन्दर खाया जा रहा था एक अंतहीन तलाश है। 

अनकहे से अधूरे से सुख की जो सभी सुखो से बड़ा है। मेरी महिला पाठक ये बात भली भाँति समझ सकती है की भावनाओ की बरसात में बहना कितना अनमोल है और कैसे अनेको भारतीय महिलाए उसे बिना अनुभव किए जिए जा रही है।

मेरा और जेठानी जी जिन्हें में रंजना भाभी कहकर बोलती थी उनका और मेरा रिश्ता मस्ती मज़ाक का था तो वो काफ़ी खुल के मजाक किया करती थी, जैसे की सुना है की जेठजी कितनी बार उन्हें सोने नही देते इस उम्र में जब बेटी की उम्र शादी की हो गयी। 

परन्तु बीमारी के बाद वो अब उनकी आँखों में जेठजी की उदासी के कारण आंसू ही रहने लग गये जो मैंने उनसे महसूस कर उन्हें सब सही होने का आभास कराती थी।

उस दिन शाम को जब में खाना बनकर जेठानी जी को खिलाकर दवाई दी तभी जेठजी उस बरसात की रात को देर से घर आकर मुझसे पूछने लगे की रंजना को खाना खिलाकर दवाई देने का पूछा, तो मैंने हां कह दी और उन्हें खाना खाने के लिये कह दिया। 

उन्होंने कहा भूख नहीं होने की वजह से केवल चाय पीने को कहा मैंने उनके लिए चाय लेजाकर दी वहा बाहर हाल में बेठे हुए थे। तब अचानक मेरी नज़र उनसे मिली तो उनकी आँखों में एक अजीब खालीपन पाया जैसे वह टूट चुके हो। 

मैंने उनसे कहा – आप हिम्मत रखिये भाभी जल्दी ही ठीक हो जायेंगे! 

पर वो धीर मुद्रा में मुझे एकटक देखते ही रह गये न जाने उस वक़्त मेरा घूँघट भी सर से उतर गया और मैंने नज़रे झुका ली शायद उन्होंने मेरा खालीपन पहचान लिया। उस वक़्त मानो वक्त ऐसा था की हम दोनों की परिस्थति लगभग एक जैसी थी वो अपनी पत्नी की बीमारी की वजह से अकेले और मैं अपने पति के बाहर होने की वजह से अकेली और खामोश सा वो पल। अचानक उन्होंने मेरे पति के बारें में पूछ लिया की वो कब तक उदयपुर आयेगा। 

तो मैंने कहा – उनके आने का अभी कुछ नहीं है।

उस वक्त मुझे जेठजी ने मुझसे खुद की और मेरी पारिस्थिति की बात छेड़कर मेरे अन्दर के दबी भावना को जागृत कर दिया। बरसात की वो रात बरसात की रात जिन जेठजी से पहले में कभी नज़रे नहीं मिलाती और शर्मा जाती थी पर भावनाओ में बहकर मैं जेठजी के गले लगकर रोने लग गयी। उस वक़्त शायद जेठजी में भी यही ज्वार उमड़ रहा था उन्होंने कसकर मुझे गले लगा लिया। 

उनकी गरम गरम साँसे मेरे गर्दन पर अपना अलग ही प्रभाव छोड़ रही थी और मेरी भावनाओ के भंवर से मेरी सांस धोकनी जैसी चलने लगी। उस समय हम दोनों को ये अंदाजा नहीं था की कमरे में रंजना भाभी सो रही है उनके उनके होठ अनायास ही मेरे तडपते होठो से जुड़ गये और एक गहरे चुम्बन में तब्दील हो गये। 

अचानक मेरी तरनिद्रा टूट गयी और मेरे होठ उनसे अलग हो गये पर हम दोनों के दिल की धड़कन तेज हो गयी, 

उन्होंने मेरे गाल पर हाथ रखकर पूछा – क्या तुम मेरे लिए रंजना बन सकती हो?? 

तो अचानक से में शर्मा गयी और हलकी हंसी में मैंने उनसे धत! कहा और नज़रे झुका ली। 

फिर वो मेरी सुन्दरता की तारीफ करने लगे जिसे सुनकर मेरे अन्दर का ज्वार उमड़ने लगा वो मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे कमरे की और आ गये मेरे चेहरे पर प्यार से हाथ फिरने लग गये महिलाये बहुत अच्छे से जानती है। भावनाओ के ज्वार में जब कोई चेहरे पर हाथ फिराए तो अजीब सी उतेजना हो जाती है वही हाल मेरा था धीरे धीरे उन्होंने मेरे आँचल को निचे गिरा दिया ओर चुंबन की बोछार करने लग गयी। मेरी हालत वैसी थी जैसे तपती हुई धरती पर बारिश की बूंद गिरने जैसी हो।

हम दोनों की भावनाओं ने उस कमरे में रिश्तो को भुला कर दो प्रेमी जैसे मिलते हो वैसा माहोल बना दिया बरसात उस समय चरम पर और हम दोनों की antarvasna भावनाए अपनी चरम पर थी। जिनका में घूँघट करती थी आज वो ही मेरे कपडे एक एक करकर मेरे गर्म बदन से अलग कर रहे थे। 

वे मेरे कान के पास गले पर मेरे उरोज और पेट पर चुम्भन किये जा रहे थे, 

और में मदहोश होकर – सी आः ह्ह्ह 

की आवाज़ निकल रही थी उन्होंने मुझे प्यार से पलंग पर सुलाकर मेरे बूब्स को हाथ से दबाने लगे और उन पर मुह लगाकर चूसने लगे। जिससे मेरा दिल पूरी तरह बेकाबू हो गया लगभग 15-20 मिनट तक वो ऐसे ही मेरे बदन की आग को बड़ा रहे थे। उसके बाद मैंने भी उनके कपड़े उतारे और उन्हें बेतहाशा चूमने लगी उनका लिंग पूरी तरह खड़ा था।

जिसे मैंने हाथ से सहलाया और अपने होठो से उस लिंग को अपने मुह में लेकर चूसने लगी जिससे वो भी अब कहरने लग गये। वो मेरे ऊपर उलटे आगये जिससे उनका लिंग मेरे मुह के ऊपर और मेरी गीली हुई पुसी उनके मुह के पास थी। 

उनकी साँसों की गर्मी मेरी पुसी को और गिला करने पर मजबूर कर रही थी और उन्होंने उनका मुह मेरी पुसी पर रखकर चाटने लगे। जो मेरे लिए एक नया अनुभव था। मेरा बदन उस गर्मी को सहन नहीं कर सका और मेरी पुसी ने ढेर सारा पानी निकाल दिया पर, उनका लिंग और कड़क हो गया। 

मेरे चूसने से जिसे देखकर में सोचने लगी की मेरे इतना चूसने पर भी उनके लिंग का पानी नहीं निकला तो जेठजी कितनी हिम्मतवाले है।

तभी उन्होंने मेरे ऊपर से उठ कर अपने लिंग को मेरे बदन के सही रास्ते में ले जाने का पुचा तो मैंने आँखों से अपनी मोन स्वीकृति दे दी। उन्होंने धीरे धीरे उनके लिंग को मेरी पुसी में डालने का प्रयास किया इतने में बिजली जोर से कड़कने लगी और उनका लिंग मेरी पुसी को चीरता हुआ अन्दर चला गया। 

मेरी जोर से आह निकल गयी पर वो उस बिजली की आवाज़ में दब गयी धीरे धीरे वो अपने लिंग को मेरी पुसी में अन्दर बाहर करने लग गये। 

मैं कामुकता की भावनाओ के ज्वार में जोर जोर से आहे भर रही थी – आ आ आ उम्म्मउम्म्मम्म आःह्ह आह्हह्हह्हह्हह 

जेठजी ने अपने धक्को की स्पीड बड़ा दी कभी वो मेरे होठो को चुमते कभी मेरे बूब्स को हाथो से दबाते, कभी मेरी चुचियो को मुह में लेकर काट लेते, में उन्हें कसकर पकड़ने लगी और मेरा बदन अकड़ने लगा। और बाहर जैसे बारिश हो रही थी मेरी पुसी ने दोबारा वैसी बारिश कर दी मेरा बदन पूरा दर्द और प्यार के बीच गोते खाए जा रहा था और कुछ देर बाद जेठजी के लिंग का ढेर सारा पानी मेरी पुसी में समां गया।

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कुछ देर वो मुझसे लिपटे रहे फिर हम दोनों एक दुसरे से अलग हुए और मैंने अपना गाउन पहना और पानी पिया पर जेठजी वही सीधा लेट गये और बोले आज में अपनी रंजना रूपी हर्षिता के साथ ही सोऊंगा और में उनके सीने पर सर रखकर नींद के आगोश में डूब गयी।

सुबह मेरे उठने में देरी हो गयी तो जेठजी मेरे लिए चाय कमरे में लाकर मेरे माथे पर चुम्बन कर मुझे उठाया तो एक पल में डर गयी पर उन्होंने कहा की रंजना अभी तक सो ही रही है। उसे कल का कुछ नहीं पता और मुझे बाहों में लेकर मुझसे शुक्रिया कहा और बोले आज से मुझे मेरी एक नयी रंजना हर्षिता के रूप में मिली।

आज मैं बहुत प्रसन्न थी मुझे जिस खालीपन और दबी हुई भावना थी वो मुझे अपने जेठजी के प्यार से पूरी हुई। बाकी दिनो की बाते अगली बार सुनाएँगे। आपके प्रेम का आकांशी हूँ और अपनी जेठजी से चुदाई कहानी की फीडबॅक की भी। फिर मिलेंगे अगली कहानी मे।

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