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श्रुति की ठुकाई – एक स्कूल सेक्स स्टोरी – 2

लन्ड घुसते ही श्रुति एक ज़ोरदार आवाज़ से चिल्ला उठी ” बस कर बहनचोद….. अब क्या जान से मरेगा। आह ओह ओह माई गोड। आह मम्मी”। सर ने उसकी बनियान के दोनो बन कंधो से नीचे खिसका दिए। और उसके छोटे छोटे चूंचे नंगे हो गए। ये तो इंट्रो था बस, इस School Sex Story पूरी पढ़ना और आप लॉफ पढ़ते पढ़ते मुठ मरदेंगे, ये वादा है, तो चलिए शुरू करते है पूरी बकचोदी के साथ।

पिछली में आपने पढ़ा, कि किस तरह प्रिंसिपल सर ने श्रुति की चूत और गांड का उद्घाटन किया। 

पहला भाग – श्रुति की ठुकाई – एक स्कूल सेक्स स्टोरी

क्या अब फिर उसे 10 मार्क्स के लिए बली देना पड़ेगी? पढ़िए आगे की इस प्रिंसिपल और स्टूडेंट श्रुति की चुदाई कहानी में और अगर आप चाहते हैं कि श्रुति यूंही चुदती रहे, तो ज्यादा से ज्यादा कमेंट करे। और अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें।

मार्च में परिक्षा होने वाली थी। 

ये समय था जनवरी में पड़ने वाली ठंड का। दोपहर के लगभग 11:30 बज रहे थे। आधे घंटे बाद लंच ब्रेक होने वाला था। 

कक्षा बारहवीं का ये गेम्स पिरियड था। 

सभी बच्चे अपने पसंदीदा खेलों में व्यस्त थे। श्रुति भी अपने पसंदीदा खेल फुटबॉल में व्यस्त थी। आसमान में बादल होने की वजह से ज़्यादा तापमान नहीं था। 

मगर फुटबॉल तो पसीना निकाल ही देती है। सो, श्रुति की कमीज पसीने से भीग गई थी। 

तभी प्रिंसिपल सर राउंड पर आए, फुटबॉल में दौड़ते समय श्रुति की छोटी-छोटी चुचिया उछल रही थी। साथ ही पसीने से भीग जाने की वजह वो और भी मादक लग रही थी।

प्रिंसिपल सर वहां से चले गए और राजु भ‌ईया(चपरासी) ग्राउंड पर आए,

और‌ कहा “श्रुति को प्रिंसिपल सर ने केबिन में बुलाया है।”

इतना सुनते ही श्रुति सहम गई, मगर किससे और क्या कहती?

ग्राउंड से केबिन तक जाते हुए पुराने दर्द को याद कर रही थी, मगर फिर सोचा कि “मज़े भी तो बहुत आए हैं, सर का लेकर।”

सर के केबिन में लगभग हर सुविधा थी। सबसे पहले एक ऑफिस, उसके अंदर एक बेड आराम करने के लिए, एक टेबल और चार कुर्सी खाना खाने के लिए(गेस्ट्स के लिए), और एक बाथरुम।

श्रुति ने “मे आई कम इन सर?” कहकर अंदर आने की परमिशन ली।

“याह कम माय डियर।” सर ने अनुमति प्रदान की।

अभी लंच में 20 मिनट बचे थे सर ने राजू भैया को बुलाया और 2 लोगों के लिए खाना तैयार करने के लिए कहा।

राजू भैया के जाते ही, सर ने श्रुति से गेट क्लोज करने के लिए कहा।

श्रुति ने बगैर कुछ कहे गेट बंद कर दिया। जिससे सर समझ गए कि श्रुति भी तैयार है।

फिर सिर ने श्रुति को कुर्सी पर बिठाया और उसके बालो को सहलाने लगे। 

केबिन में पूर्ण शांति, और उसपे श्रुति के कपड़ो से आती पसीने की खुशबू, माहौल को और ज़्यादा मज़ेदार बना रही थी।

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तभी सर ने अपना लगभग आठ इंच का लन्ड (जो पिछली चूदाई में पौने आठ का था) अपने पैंट से निकलकर श्रुति के सामने रख दिया।

श्रुति अचानक से सहम गई थी, क्योंकि ये उसकी दूसरी चूदाई ही थी। उसकी चूत ने अभी पूरे मजे लिए नहीं थे। 

श्रुति सर के आगे हाथ जोड़ने लगी, “सर प्लीज़, छोड़ दीजिए!”

“अरे मेरी राण्ड, अभी सही से पकड़ा ही कहा है तुझे”

ये कहते हुए सर ने श्रुति को कुर्सी से खींचकर बेड पर पटक दिया।

“सर, प्लीज़, सर, नहीं” श्रुति जोर जोर से रोने लगी।

“हाहाहा तुम्हारे रोने से कुछ नहीं होगा। मेरा पूरा केबिन साउंड प्रूफ है”

फिर सर ने श्रुति के माथे पर एक हल्का सा चुम्बन किया। और फिर उसके होठ को चूमने लगे।

सर ने श्रुति के मुंह में अपनी ज़ुबान डाल दी और अंदर ही फिराने लगे।

लगभग 2 मिनट के बाद सर ने श्रुति के मुंह से अपनी ज़ुबान निकल ली और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगे।

फिर उसके गले में चुम्बन किया।

और गले से जैसे ही नज़र हठी, तो उन्हे श्रुति के नींबू जैसे चूचे दिखाई दिए।

“अरे, मैं इन्हें कैसे भूल गया? चलो जान अभी जल्दी से मुझे मेरी पसंदीदा चीज़ दे दो” 

ये कहते हुए सर ने श्रुति की कमीज़ के तीनों बटन खोल दिए।

“सर, नहीं मत कीजिए प्लीज़” श्रुति फिर गिड़गिड़ाने लगी।

मगर सर कहा मानने वाले थे, और श्रुति को भी मानने के अलावा कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।

सो, उसने अपनी कमीज उतार दी। अब वो सलवार और सफेद रंग की इनर में थी। जो बनियान की तरह आती है।

सर ने उसकी बनियान के दोनो बन कंधो से नीचे खिसका दिए। और उसके छोटे छोटे चूंचे नंगे हो गए।

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सर तो मानो पागल ही हो गए हो। अपने एक हाथ से एक चूचे को मसलते और दूसरे को मुह में लेकर चूसने लगते।

बीच बीच में श्रुति के मुलायम से चूचों को दातों से काटने भी लगते।

जिससे श्रुति “आ………. ह……… अहम्म” की मादक आवाजें निकलने लगती।

करीब दस मिनट तक श्रुति की चुचियों को पीने के बाद सर ने टाइम देखा 11:50 हो चुका था।

फिर सर ने श्रुति को बैठाया और अपना लन्ड उसके मुंह में पेल दिया।

श्रुति ना ना करते हुए, उसे चूसने लगी।

अब श्रुति खूब मज़े लेकर उसे चूसने लगी। फिर कुछ देर बाद सर ने अपना लन्ड श्रुति के मुंह से निकाल लिया ।

और जल्दी से उसकी सलवार को खोलकर अपना मोटा लंबा लन्ड बिना देरी किए, एक झटके में उसकी मासूम सी चूत में घुसा दिया।

“आ…………. ह आह ओह ओह मम्मी पापा आह आह आह ओह माई गोड” श्रुति निरंतर आहे भरने लगी।

दर्द के मारे श्रुति का बुरा हाल हुआ जा रहा था।

और सर उसकी एक नही सुन रहे थे। 

सर उसकी दर्दभरी आहें सुनकर और ज्यादा जोश में आ रहे थे।

सर जोर जोर से झटके लगाकर “वाह वाह वाह” कर रहे थे।

और श्रुति “आह आह आह ” करके उनका लन्ड अपनी मासूम सी चूत में ले रही थी।

श्रुति की आंखे बंद हो रही थी। सर समझ गए कि अब श्रुति इससे ज्यादा दर्द नहीं झेल पाएगी। 

सो, सर ने उसके मम्मो को दबाना शुरू कर दिया।

जिससे श्रुति भी जोश में आने लगी।

सर उसके मम्मों को दबाते हुए अपना लन्ड उसकी चूत में डाले जा रहे थे।

करीब 5 मिनट तक “आह और वाह” की आवाज़ें गूंजने के बाद।

सर ने श्रुति की चूत में से लन्ड निकाल लिया और उसे घोड़ी बनने को कहा।

श्रुति ने इंकार कर दिया!!!

तो सर को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने श्रुति को बेड पर उलट लेट दिया और उसकी कोमल गांड पर तीन चार तमाचे लगा दिए।

श्रुति की दूधिया गांड अब लाल चट्ट हो गई। सर ने अपनी टेबल पर रखी सेनेटाइजर की बॉटल उठाई और उसमे से सेनेटाइजर निकालकर थोड़ा अपने लन्ड पर लगाया और बाकी श्रुति की गांड में मसल दिया।

फिर सर ने अपना लन्ड सेट किया और बिना किसी देरी के एक ही झटके में श्रुति की गांड में सर्जिकल स्ट्राइक कर दी।

लन्ड घुसते ही श्रुति एक ज़ोरदार आवाज़ से चिल्ला उठी ” बस कर बहनचोद….. अब क्या जान से मरेगा। आह ओह ओह माई गोड। आह मम्मी”

तूने तो मुझे रंडी बना दिया है भोसड़ीके सर जी,

सर ने कहा – और तूने मुझे पागल बना दिया है, तेरी याद में Antarvasna Ki Kahani पढ़ने लगा लगा हु स्कूल की किताबो को छोड़कर।

पूरे कमरे में उनकी चूदाई की आवाज मानो किसी ढोल की थाप जैसी सुनाई दे रही थी “चप चप ढप ढप” “चर्र चर्र”

सर बिना ब्रेक लगाए श्रुति की मारते जा रहे थे। 

श्रुति की चूचियां हिप हॉप कर रही थी।

और श्रुति पूरे मजे के साथ अंदर लेते जा रही थी।

“आह ओह, बस कर गंडिए। अब मैं झड़ने वाली हु”

फिर सर ने श्रुति को सीधा करके उसकी चूत में अपना मुंह अड़ा दिया। और जुबान को घूमने लगे। 

तभी श्रुति ने पानी छोड़ दिया और सर पूरा पानी पी गए।

अब श्रुति का बदन एक दम ढीला पड़ गया था। सर उठा और श्रुति के मुंह में अपना लन्ड पेल दिया। और वही झड़ गए।

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दोनो इसी अवस्था में लेटे रहे।

तभी लंच का हूटर बज गया।

दोनो उठकर नहाने गए और फिर साथ में लंच किया। 

“कल घर पर” सर ने मुस्कुराते हुए श्रुति को रुखसत किया।

श्रुति गुस्से से लाल हो गई, तभी सर ने श्रुति के हाथो में एक महंगी सी घड़ी पहना दी।🤑

जिससे श्रुति मुस्कुराने लगी और “बाय, लव यू” कहते हुए केबिन से बाहर आ गई।🥰

जल्द ही हम सर के घर से लाइव आयेंगे। तब तक के लिए “हिलाते रहे, ढोलते रहे!”

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3 Comments

  1. BECHARI FIRSE! lekin padne me bahut maza aya firse! PASS hona ise mehnga par gya ise acha to pad leti chudna to nhi padta…🤣🤣🤣

  2. It’s hard to find well-informed
    people about this topic, but you sound like you know what you’re talking about!

    Thanks

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